मिसाल : इकलौते बेटे की शहादत के बाद बहू ने उठाई परिवार की जिम्मेदारी, अब निभा रही फर्ज
एक ओर शहीद कैप्टन अंशुमान की बीवी के कीर्ति चक्र लेकर मायके जाने की चर्चा, दूसरी ओर छत्तीसगढ़ की बेटी ने सास-ससुर को मान लिया माता-पिता।
जांजगीर-चांपा। एक ओर जहां उत्तरप्रदेश के देवरिया में शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की विधवा सरकारी मदद और कीर्ति चक्र लेकर अपने माता-पिता के घर चली गई, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में शहीद सब इंस्पेक्टर रुद्र प्रताप सिंह की पत्नी स्कूल में शिक्षक का दायित्व निभाते हुए न केवल घर परिवार की जिम्मेदारी उठा रही है, बल्कि सास ससुर के साथ रहते हुए पूरी सेवा कर बेटे का फर्ज निभा रही है।
जांजगीर चांपा जिले के अकलतरा ब्लाक अंतर्गत सोनसरी निवासी सेवानिवृत्त प्रधानपाठक जवाहर सिंह का इकलौता बेटा रुद्र प्रताप सिंह वर्ष 2013 में सब इंस्पेक्टर के पद पर चयनित हुआ था। उसकी पत्नी प्रतीक्षा सिंह शिक्षिका थीं। रुद्र प्रताप ने शिक्षक की नौकरी छोड़कर पुलिस की नौकरी ज्वाइन की थी। उसकी पोस्टिंग नक्सल प्रभावित क्षेत्र में थी। इस दौरान शिक्षिका पत्नी प्रतीक्षा सिंह और बेटी माही गांव में उसके माता-पिता के साथ रहते थे। 30 अक्टूबर 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान दंतेवाड़ा के अरनपुर थाना के नीलवाया घने जंगल में नक्सली एम्बुश में फंसे मीडिया कर्मियों को बचाते हुए इंस्पेक्टर रुद्र प्रताप शहीद हो गए।
तीज त्यौहार में भी नहीं जातीं मायके
प्रतीक्षा सिंह तीन बहन और एक भाई में सबसे बड़ी हैं। बमुश्किल 11 साल की उम्र में पिता का देहांत हुआ था। घर की बड़ी बेटी होने के कारण वे अक्सर मायके जाती। भाई छोटा है जिसकी शादी भी नहीं हुई है। ऐसे में तीज त्यौहार पर तो मायके जाना ही होता था, लेकिन पति की शहादत के बाद उसने सास ससुर को ही माता-पिता मान लिया है। अब किसी भी तीज त्यौहार पर वे मायके नहीं जातीं, बल्कि ससुराल में ही सास ससुर और परिवार के लोगों के साथ रहती है। जब कभी मायके से बुलावा आता है तो गर्मी की छुट्टियों में समय निकालती हैं और कुछ दिन मां के साथ रहने के बाद वापस आ जाती है।
सासू मां का इलाज करा रही
शहीद रुद्र प्रताप की पत्नी प्रतीक्षा सिंह अपने सास ससुर की देखभाल अपनी माता-पिता की तरह करती हैं। उनकी सास को पिछले दिनों गंभीर बीमारी हो गई, तब बहू प्रतीक्षा सिंह उसे डॉक्टर के पास लेकर गई। इसके बाद गंभीर बीमारी के उपचार के लिए उन्हें हर महीने राजधानी रायपुर जाना पड़ता है। वह किराए की गाड़ी लेकर हर महीने सास को डॉक्टर के पास ले जाती हैं। जिसके बाद उनकी सेहत में काफी सुधार आया है।
अभी तक नहीं ली अनुकंपा नियुक्ति
शहीद की पत्नी प्रतीक्षा सिंह ने अभी तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं ली है। दरअसल प्रतीक्षा शासकीय उत्तर माध्यमिक विद्यालय नरियरा में व्याख्याता के पद पर पदस्थ हैं। उन्होंने बताया कि ,पति की शहादत के बाद तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने बेटी के लिए अनुकंपा नियुक्ति की बात की थी। जिस पर उन्होंने कहा कि बेटी के ग्रेजुएट होने तक अभी वे अनुकंपा नियुक्ति नहीं लेंगी। ग्रेजुएशन के बाद बेटी अपना फैसला लेगी। बहू के इस निर्णय पर सास ससुर और ससुरालियों ने भी सहमति जताई है।