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मास्क, क्वारंटाइन और दो गज की दूरी; कोरोना के नए वैरिएंट JN.1 ने बढ़ाई चिंता तो लौटे…

सात राज्यों में पैर पसार चुका कोरोना का नया वैरिएंट जेएन.1 देश में फैलता जा रहा है।

संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। गोवा, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान और तमिलनाडु के बाद अब गुजरात में भी कोरोना केस चिंता बढ़ा रहे हैं।

इस बीच कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को स्वास्थ्य संबंधी बैठक में अहम फैसले लिए।

कोरोना को लेकर बैठक में राज्य सरकार ने मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने, संक्रमित व्यक्तियों के लिए सात दिन का क्वारंटाइन और कोरोना लक्षण वाले बच्चों को स्कूल भेजने से बचें जैसे फैसले लिए।

कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को एक समीक्षा बैठक की। जिसमें बुजुर्गों और बीमार लोगों को बूस्टर डोज की सलाह दी है, अगर किसी ने तीसरी डोज नहीं ली है तो।

सरकार ने केंद्र से वैक्सीन की 30,000 खुराक खरीदने का निर्णय लिया है। हालांकि, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा है कि सरकार नए साल के जश्न और समारोहों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा रही है। सरकार इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगी।

मास्क, क्वारंटाइन और दो गज की दूरी
सरकार ने लोगों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिसमें सभी को मास्क पहनने की सलाह दी है, विशेष रूप से 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और अन्य गंभीर बीमारियों वाले लोगों के अनिवार्य रूप जरूरी है।

सर्दी, बुखार जैसे लक्षणों वाले बच्चों को स्कूल नहीं भेजने की सलाह दी है। आवश्यक होने तो परीक्षण भी किया जाएगा।

राव ने इस बात पर भी जोर दिया कि जब तक अस्पताल में भर्ती होना जरूरी न हो, कोविड से संक्रमित व्यक्तियों को एक सप्ताह के लिए घर पर ही क्वारंटाइन किया जाए।

सरकारी कर्मचारियों को एक सप्ताह का आकस्मिक अवकाश
मंत्री राव ने कहा, “वे सभी जो होम आइसोलेशन से गुजर रहे हैं और सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, उन्हें एक सप्ताह के लिए अनिवार्य आकस्मिक अवकाश दिया जाएगा।

जबकि अस्पताल में भर्ती लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की अवधि के लिए विशेष अवकाश दिया जाएगा।

गौरतलब है कि राज्य में जेएन.1 संस्करण के 34 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें तीन मौतें शामिल हैं।

देश भर में दर्ज 69 जेएन.1 मामलों में से, कर्नाटक सबसे अधिक संक्रमित राज्यों में से एक है। हालांकि सरकार ने कहा है कि लोगों को घबराने के बजाय अलर्ट पर रहने की जरूरत है।

Yogesh Bansal

Editor in Chief

Yogesh Bansal

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