छत्तीसगढ़

कहा – प्रकृति अनुकूल आचरण भारतीय जीवन पद्धति का मूल :आरएसएस प्रमुख भागवत रायपुर में

bhagwat

रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत इन दिनों छत्तीसगढ़ प्रवास पर हैं। रविवार को उन्होंने पर्यावरण संवर्धन से जुड़े कार्यों पर कार्यकर्ताओं व अधिकारियों का मार्गदर्शन किया। डॉ.भागवत ने कहा कि भारत की संस्कृति, लोक व्यवहार व यहां की जीवनशैली हजारों वर्ष से पर्यावरण अनुकूल रही है। हमारे यहां प्रकृति एवं मनुष्य एक दूसरे के पूरक हैं। हम सह अस्तित्व पर विश्वास करते हैं। सर्वे भवन्तु सुखिनः का मंत्र, इसी ध्येय की फलश्रुति है।

सरसंघचालक ने कहा कि भारत में त्योहार, उत्सव और यहां का आध्यात्मिक अधिष्ठान प्रकृति के  साथ ही व्यक्त होता है। संघ कुछ नहीं करता किंतु संघ के स्वयंसेवक हर वह कार्य करते हैं, जिसकी समाज में आवश्यकता होती है। पर्यावरण का संरक्षण एवं उसके संवर्धन के लिए हम सभी को आगे आना होगा। इसके लिए सर्वप्रथम हमें स्वयं से प्रारंभ करना होगा। उत्पादन से लेकर उसके वितरण व उपभोग के समय हमें प्रकृति एवं मातृभूमि का ध्यान आना चाहिए। आज जब पूरी दुनिया जलवायु संकट से जूझ रही है तब भारत की ओर विश्व देख रहा है, क्योंकि भारत ने अपने प्रकृति अनुकूल व्यवहार व परंपराओं से यह प्रमाणिकता अर्जित की है।

पेड़, पानी और पॉलीथिन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति विशेष रूप से सक्रिय है। संघ पर्यावरण संरक्षण को जन-जन तक ले जाने के लिए एक गतिविधि के रूप में उसकी पूरी रचना खड़ी की है। पर्यावरण गतिविधि का उद्देश्य विविध कार्यक्रमों और अभियान के जरिए जागरुकता निर्माण करना है।

पर्यावरण गतिविधि की घोषणा

10 मार्च 2019 को ग्वालियर में हुई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में पर्यावरण गतिविधि की विधिवत घोषणा हुई। समाज के सहयोग से संघ ने पर्यावरण संवर्धन हेतु 30 अगस्त 2020 को प्रकृति वंदन जैसा बड़ा अभियान संचालित किया है। पर्यावरण प्रहरी कार्यक्रम के जरिए ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं।

प्रतियोगिताएं और संगोष्ठी

2021 से प्रति वर्ष पर्यावरण संरक्षण गतिविधि द्वारा राष्ट्रीय छात्र पर्यावरण प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। इसी क्रम में नेशनल एनवायरमेंट यूथ पार्लियामेंट 2022 का आयोजन किया गया। सायकल यात्रा, विश्व आद्रभूमि दिवस संगोष्ठी जैसे आयोजनों से लोगों के भीतर धरती के स्वास्थ्य के प्रति चेतना जागृत हुई है। गतिविधि के प्रमुख कार्य हरित घर, हरित मिलन और हरित संगम । इको मित्रम एप में गतिविधि के बारे मे विस्तार से जानकारी डाली गई है।

छत्तीसगढ़ में एक थैला- एक थाली अभियान

महाकुंभ प्रयागराज को हरित कुंभ की दृष्टि से एक थैला-एक थाली अभियान चलाया गया था। इसमें पूरे छत्तीसगढ़ प्रांत से 66,160 थैले और थालियां समाज के सहयोग से प्राप्त हुए। इसमें गतिविधि के जन-जन में कुंभ, घर-घर में कुंभ और कुंभ में कुंभ का उद्देश्य पूर्ण होगा। राष्ट्रीय छात्र पर्यावरण प्रतियोगिता जो पहली से स्नातकोत्तर तक चार स्तरों पर आयोजित की गई, जिसमें प्रदेश के 31856 प्रतिभागी सम्मिलित हुए। आगामी समय मे प्रांत के धार्मिक आयोजनो को पॉलिथीन मुक्त करने की योजना है।

Suraj Makkad

Editor in Chief

Suraj Makkad

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button