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धड़ल्ले से अवैध खनन, नियम कायदों को ताक पर रखकर जमीन छ्लनी करने में लगे माफिया

खरोरा। नगर सहित परिक्षेत्र में मुरूम खनन चरम पर पहुंच चुका हैं। नियम कायदों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। नियम कायदों की डिब्बी बनाकर अंधेर कोठरी में डाल दिया गया है। कोई खनिज विभाग भी हैं ऐसा इस क्षेत्र में नजर नहीं आता है। क्योंकि जिस दादागिरी से खनिज संपदा का दोहन किया जा रहा हैं। इससे जरूर लगता है कि खनिज अधिकारी आंख में पट्टी और कान में तेल डालकर बैठें हैं। और अपनी पूर्ण सहमति अवैध खनन माफिया को दे दिया है। रोजाना अवैध मुरूम खनन से सरकार को लाखों रूपए का राजस्व का चुना लगाया जा रहा हैं।

नगर से लगे ग्राम पंचायतों में तो शाम ढलते ही बकायदा मशीनों के माध्यम से मुरुम का अवैध कारोबार शुरू हो जाता है। कुछ रसुखदार यहां बेखौफ होकर इस गोरखधंधे को अन्जाम दे रहे है। ऐसा नहीं है कि खनिज विभाग की जानकारी नहीं हों, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। उसके बावजूद अवैध खनिज उत्खनन पर कार्रवाई नहीं किए जाने से खनिज माफियाओं के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। जल, जंगल, जमीन की बहुलता क्षेत्र है। इस कारण क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध उत्खनन का कार्य चल रहा है।

क्षेत्र में मुरूम, मिट्टी की खोदाई कर गड्ढे के रूप में तब्दील कर दिए हैं। सैकड़ों ईंट भट्ठे भी बेरोकटोक संचालित हो रहे हैं। खनिज क्षेत्रों से भरपूर खनिज नगरी में अब खनिज माफियाओं की काली निगाहें लग गई हैं और लाखों रूपये का उत्खनन कर स्वयं का विकास कर रहे हैं। इससे राजस्व को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। गौरतलब है कि पिछले कुछ माह से लगातार अवैध गौण खनिज उत्खनन और परिवहन शासन-प्रशासन के नाक के नीचे तेजी से चल रहा है।

जिसमें जहां मुरूम वाली जमीन दिखी की खोदना चालू जिसमें सबसे ज्यादा अंसौदा और मुड़पार गांव है इसके अलावा भी अन्य गांवों व क्षेत्रों में अवैध खनन कर वाहनों से परिवहन हो रहा है।

विभागीय अफसर बने मूकदर्शक

विभागीय अफसर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। जिसे लेकर विभाग व खनन माफियाओं के बीच सांठगांठ की चर्चा हो रही है। कई बार क्षेत्र में अवैध उत्खनन को लेकर खबरों का भी प्रकाशन किया जा चुका है लेकिन खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने शायद अवैध खनिज कर्ताओं को छूट दे रही है। रायपुर जिला एवं ब्लाक स्तर के भाजपा के सत्ता में आने के बाद खनन में सक्रिय हो गए हैं। इसके बाद भी खनिज विभाग ने अवैध रूप से उत्खनन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं किया है।  सैकड़ों खेप खोदी जा चुकीः बताया जा रहा है कि अब तक सैकड़ों ट्रीप मुरुम रास्ता बनाने, मकान निर्माण, सरकारी निर्माण, अन्य शहरों में सप्लाई के नाम पर खनन कर बेची जा चुकी है।

पंचायत के जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत

ग्राम पंचायतों में अवैध उत्खनन होने और इसका विरोध नहीं होने से यह स्पष्ट है कि अवैध उत्खनन में जनप्रतिनिधि माफियाओं का पूरा सहयोग कर रहे हैं। अवैध उत्खनन होने का सबसे पहले जनप्रतिनिधि ही विरोध करते हैं, लेकिन अब तक पंचायत से एक भी व्यक्ति शिकायत लेकर सामने नहीं आया है।

सड़क पर मिलने वाले वाहनों पर खानापूर्ति की कार्रवाई

खनिज विभाग को अवैध उत्खनन होने की लगातार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन अधिकारी कार्रवाई के नाम पर सड़क पर अवैध परिवहन करने वाले वाहनों पर ही खानापूर्ति की कार्रवाई कर रहे हैं। अधिकारियों से कार्रवाई के संबंध में पूछे जाने पर वे जवाब देना तक मुनासिब नहीं समझते

पेड़ पौधों की बलि

पिछले कई वर्षों से क्षेत्र में अवैध मुरुम खुदाई का गोरखधंधा चल रहा है। इस अवैध कारोबार में अब तक कई सरकारी जमीन प्राइवेट जमीन सहित सैकड़ों छोटे-बड़े पेड़-पौधों की लगातार बलि चढ़ाई जा रही है। प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बाद भी आज तक ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इसके कारण अवैध मुरुम माफियों के हौसले बुलंद है। एक ओर शासन-प्रशासन पर्यावरण को बचाने के लिए कई योजनाएं चलाकर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। साथ ही निजी संस्थाएं भी पर्यावरण सरंक्षण के लिए लगातार मुहिम चला रही है।

सीएम विष्णुदेव साय को दिखाने के लिए सिर्फ कागजों पर अवैध उत्खनन पर रोक लगी है। जबकि नगर के चारों तरफ उत्खनन और परिवहन जारी है। खनिज विभाग ने इस दिशा में कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। खनिज विभाग की मिलीभगत से अवैध कारोबार जमकर फल फूल रहा है।

क्षेत्र में लगातार मुरूम खनन को लेकर शिकायतें आ रही है उसके बाद भी शासन प्रशासन द्वारा कार्रवाई न करना प्रश्न चिन्ह खड़ा करता हैं।

सौरभ विश्वनाथ मिश्रा अध्यक्ष ब्लॉक कांग्रेस कमेटी

परिक्षेत्र में अवैध खनन कर रहे हैं तो यह मामला गंभीर हैं। किसी को भी बिना परमिशन खनन करना अपराध है। ठोस व सख्त कार्रवाई की जायेगी।

के के गोलघिटे
आयुक्त खनिज विभाग रायपुर

निश्चित रूप से ठोस कार्रवाई की जाएगी अवैध खनन करने वालों को बक्शा नहीं जाएगा।

अनुज शर्मा विधायक धरसींवा

Suraj Makkad

Editor in Chief

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