छत्तीसगढ़

धान खरीदी पर विपक्ष का स्थगन, ग्राह्यता पर चर्चा के दौरान हंगामा, सदन स्थगित

bhupesh

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीत सत्र में भोजन अवकाश के बाद सदन की कार्यवाही शुरू हुई। जहां धान खरीदी में अव्यवस्था को लेकर विपक्ष की ओर से लाए गए स्थगन पर चर्चा हुई। सदन में विपक्ष ने धान खरीदी पर स्थगन प्रस्ताव लाया। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि, किसान परेशान हो रहा है और सोसायटियों में लिमिट से खरीदी हो रही है। अधिकांश जगहों में धान खरीदी बंद हो रही है और केंद्रों में नोटिस चस्पा कर दिया गया है। बहुत से जिलों में कुछ दिनों में धान खरीदी ठप हो जाएगी।

उन्होंने आगे कहा कि, 160 लाख मैट्रिक टन की धान खरीदी करनी है। तब पहले सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए थी। सरकार केवल फीता काटने और फूलमाला पहनने के लिए है। स्थगन प्रस्ताव के ग्रह्यता पर चर्चा के दौरान हंगामा हो गया। जब  बीजेपी विधायक राजेश मूणत ने महादेव सट्टा पर सवाल किया तो भाजपा और कांग्रेस नेताओं के बीच तीखी नोंक झोंक हुई। जिसके बाद कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी करनी शुरू कर दी। हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।

सरकार ने धान खरीदी में ध्यान नहीं दिया- भूपेश बघेल 

विधानसभा के शीत सत्र में पहले ही दिन धान खरीदी का मसला उठा। खरीदी अव्यवस्था का मुद्दा शून्यकाल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उठाया। श्री बघेल ने कहा कि, सरकार ने धान खरीदी में ध्यान नहीं दिया। जो व्यवस्था थी उसको बर्बाद कर दिया है। श्री बघेल ने कहा कि, खरीदी केंदों में बारदाने की कमी है। टोकन में ऑनलाइन और ऑफलाइन के चक्कर में किसान पिसते जा रहे हैं। एक महीने से ऊपर हो गया एक तिहाई ही धान खरीदी हो पाई है। उन्होंने कहा कि, राइस मिलर हड़ताल पर हैं, परिवहन हो नहीं रहा है। खरीदी केंद्रों में धान जाम है, कई जिलों में धान का उठाव नहीं हो रहा है।

चंद्राकर बोले और मच गया हंगामा

इसके अलावा भूपेश बघेल ने कहा कि, समझ में नहीं आ रहा है कि, सरकार में चलती किसकी है। इस टोकते हुए वरिष्ठ भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि, भूपेश बघेल सदन में भाषण न दें। श्री चंद्राकर के ऐसा कहने पर विपक्ष की ओर से जमकर नारेबाजी शुरू हो गई। पक्ष और विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी नोक- झोंक भी हुई। भूपेश बघेल ने कहा कि, सिमगा सोसायटी में धान की नमी के नाम पर किसानों से वसूली की जा रही है, सरकार किसानों का धान खरीदना नहीं चाहती।

Suraj Makkad

Editor in Chief

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