छत्तीसगढ़

स्टेट बार काउंसिल ने जारी किया आदेश:वकालत का रजिस्ट्रेशन 17500 नहीं अब सिर्फ 750 रुपए में होगा

बिलासपुर/ प्रदेश में वकालत करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के लिए सामान्य और ओबीसी वर्ग के युवाओं को अब 17500 रुपए का शुल्क नहीं देना होगा। अब महज 750 रुपए शुल्क देकर रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकेगा। वहीं, एससी- एसटी वर्ग के युवा 125 रुपए शुल्क देकर पंजीयन करा सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जुलाई 2024 में दिए गए फैसले के परिपालन में स्टेट बार काउंसिल ने रजिस्ट्रेशन फीस कम कर दी है।

आदेश 1 सितंबर से लागू हो गया है। दरअसल एक युवा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, इसमें देशभर में पंजीयन के लिए मनमाना शुल्क लेने को अनुचित बताया था। प्रदेश के लॉ कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में चल रहे लॉ कोर्स पूरा कर हाई कोर्ट और जिला कोर्ट में वकालत करने के लिए रजिस्ट्रेशन की फीस करीब 23 फीसदी कम कर दी गई है।

अब तक सामान्य वर्ग के युवाओं को 17500 रुपए शुल्क देना पड़ता था। इसी तरह देश के अलग- अलग राज्यों में स्टेट बार काउंसिल ने अलग- अलग फीस तय की थी।, इसे लेकर गौरव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, इसमें अपने केस की खुद पैरवी की। जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जेबी पारदीवाला की डिवीजन बेंच ने याचिका मंजूर करते हुए रजिस्ट्रेशन फीस तय करने को लेकर गाइड लाइन जारी की थी। इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 28 अगस्त 2024 को देश के सभी राज्यों के बार काउंसिल को पत्र लिखा था।

सभी अधिवक्ता संघ पदाधिकारियों को पत्र लिखा
स्टेट बार काउंसिल के सचिव अमित वर्मा के हस्ताक्षर से प्रदेश के सभी अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष और सचिव को पत्र लिखा गया है। पत्र में रजिस्ट्रेशन फीस कम करने को लेकर अधिसूचना जारी करने की जानकारी दी गई है।

अब ऐसा होगा फीस स्ट्रक्चर
सामान्य और ओबीसी वर्ग को अब 750 रुपए शुल्क देना होगा, इसमें 600 रुपए नगद या छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल के नाम डिमांड ड्राफ्ट देना होगा। वहीं, 150 रुपए बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नाम डिमांड ड्राफ्ट या चालान देना होगा। वहीं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग को 100 रुपए नगद या डिमांड ड्राफ्ट स्टेट बार काउंसिल और 25 रुपए बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नाम पर डिमांड ड्राफ्ट या चालान देना होगा।

हर साल दो हजार युवाओं को होगा फायदा
^हर साल करीब दो हजार युवा हाई कोर्ट, जिला अदालतों में प्रैक्टिस करने के लिए पंजीयन कराते हैं। स्टेट बार काउंसिल के फीस कम करने से ऐसे युवाओं का आर्थिक भार अब कम होगा। नई व्यवस्था 1 सितंबर से लागू हो गई है।

Suraj Makkad

Editor in Chief

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