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3 दिन रोकोगे युद्ध तो छूटेंगे 10-15 बंधक, इस बार मिस्र में नहीं इस मुस्लिम देश में हो रही बात… – Vartha 24

गाजा पट्टी पर लगातार हमलों के बीच इजरायल और फिलिस्तीनी समूह हमास के बीच बंधकों की रिहाई और गाजा में अस्थाई हमले रोकने को लेकर कतर की मध्यस्थता में बातचीत हो रही है।

हमास और मिस्र के सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स और एएफपी को बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका के समन्वय में कतर की मध्यस्थता में दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी है।

सूत्रों के मुताबिक, तीन दिनों के युद्ध ठहराव के बदले में हमास 10-15 बंधकों को रिहा कर सकता है। 

बुधवार को रिपोर्ट में बातचीत से परिचित अज्ञात स्रोतों का हवाला देते हुए कहा गया कि संभावित सौदे के बारे में विवरण अनिश्चित बना हुआ है।

एक गुमनाम सूत्र ने रॉयटर्स को बताया, “बंधकों की रिहाई की सटीक संख्या अभी भी स्पष्ट नहीं है लेकिन रिहा होने वाले बंधकों की संख्या 10 से 15 के बीच हो सकती है।”

एएफपी ने हमास के एक करीबी सूत्र का हवाला देते हुए कहा कि वार्ता “तीन दिन के मानवीय विराम के बदले में 12 बंधकों, जिनमें से आधे अमेरिकी हैं, की रिहाई के इर्द-गिर्द घूम रही है।”

दूसरी तरफ अल जज़ीरा के एलन फिशर ने कहा, “बहुत सारी बातें चल रही हैं लेकिन सभी कोशिशों को इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बयान से जोड़ कर देखना चाहिए, जिसमें उन्होंने बार-बार कहा है कि जब तक सभी बंधकों को रिहा नहीं किया जाता, तब तक कोई युद्धविराम नहीं होगा। यह बात उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से कई मौकों पर कही है।”

हालांकि, इस बातचीत की सबसे बड़ी बात यही है कि नेतन्याहू के रुख में नरमी आई है। अब दोनों पक्षों के बीच “लड़ाई में सामरिक विराम” पर चर्चा हो रही है, जिसे 24 घंटे पहले बेंजामिन नेतन्याहू ने भी खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि युद्धविराम केवल तभी होगा जब सभी बंदी रिहा हो जाएंगे।

हमास और इजरायल के बीच इस बातचीत में कतर एक प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरा है। कतर ने ही हाल ही में चार बंधकों को सौंपने के लिए बातचीत की थी।

अब वह सभी बंधकों की रिहाई के लिए बातचीत की मध्यस्थता कर रहा है। इस बीच कतर विश्वविद्यालय के शोधकर्ता महजूब ज़वेरी ने अल जज़ीरा को बताया, “यह अच्छी खबर है। यह पिछले 48 घंटों में वाशिंगटन और तेल अवीव के बीच हुए संवाद के बाद यह प्रगति हुई है। मुझे लगता है कि जब भी बंधकों की बात आती है तो अमेरिकियों द्वारा एक बड़ा प्रयास किया जाता है।”

Yogesh Bansal

Editor in Chief

Yogesh Bansal

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