बूढ़ा तलाब धरना स्थल में 10 बिंदु मांगो को लेकर धरना दिया गया
भारतीय पुलिस सेवा और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों का संगठन है परंतु पुलिस के अराजपत्रित (सिपाही से निरीक्षक तक) कर्मचारी/अधिकारी जब अपनी बात रखने जाते हैं या अपनी आवाज उठाते हैं तो या तो उन्हें भ्रमित कर आचरण नियम और अनुशासन के नाम का भय दिखाया जाता है या झूठे एफआईआर (राजद्रोह या पुलिस द्रोह) की धाराओं में फंसाकर जेल भेज दिया जाता है।इसलिए निरीक्षक से लेकर सिपाही का भी संगठन जल्द बनाया जाना चाहिए।
- पुलिस के 40000 हजार कर्मचारियों के पास रहने को शासकीय आवास नहीं है, जो मिलना चाहिए?
- 24 घंटा ड्यूटी करने वाले पुलिस कर्मचारियों का ग्रेड पे 1900 है जब अन्य विभाग के कर्मचारी जो 08 घंटे ड्यूटी करते हैं उनको 2400 या 2800 रु० ग्रेड पे दिया जाता है। अतः आरक्षक स्तर के पुलिस कर्मचारियों को भी तत्काल 2800 ग्रेड पे दिया जाय?
- भाजपा के मंत्रियों एवं विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी माना है की सिपाही रीढ़ की हड्डी होते हैं उनका वेतन पर्याप्त नहीं है। विधायक/सांसद रहते, अरुण साव, डॉ० रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल, धरमलाल कौशिक, अमर अग्रवाल, धर्मजीत सिंह व अन्य भाजपा नेताओं के द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर आरक्षकों को 2800 ग्रेड पे दिए जाने की मांग की गई थी। चूँकि वर्तमान में भाजपा सत्ता में है, अतएव तत्काल आदेश जारी किया जाना चाहिए?
- नायब तहसीलदार का ग्रेड पे 4200 है और वो राजपत्रित अधिकारी हैं जबकि पुलिस के निरीक्षक 4300 ग्रेड पे पर होने के बाद भी तृतीय श्रेणी कर्मचारी हैं। यह बहुत बड़ी विडम्बना है।
- नक्सल मोर्चा संभालने वाले जवानों (DSF) को चतुर्थ श्रेणी( ट्रेड, स्वीपर )कर्मचारियों के समान वेतन दिया जा रहा है तथा अनुकंपा के आधार पर नियुक्त सहायक आरक्षकों को 9 साल बाद आरक्षक बनाया जायेगा ये सर्वथा अनुचित और अन्याय है, जिसे संशोधित किया जाना चाहिए?
- जेल प्रहरियों को न अवकाश मिलता है और न ही पदोन्नति न ही नक्सल भत्ता तथा किट पेटी भी बंद नहीं किया गया है।
- रिस्पॉन्स भत्ता सभी पुलिस कर्मियों का देने का आदेश हुआ है परंतु उसका लाभ केवल थानों में पदस्थ रहने वाले पुलिस कार्मिकों को दिया जा रहा है बाकी अन्य जगह पदस्थ पुलिस कर्मियों को नहीं दिया जा रहा है। जबकि पुलिस लाईन व अन्य जगहों में कार्यरत सभी कर्मचारी लॉ एण्ड आर्डर, व्हीआईपी सुरक्षा, मुल्जिम पेशी व सभी जोखिम भरे ड्यूटी करते हैं, अतः सभी को रिस्पॉन्स भत्ता दिया जाना चाहिए।
- जिस प्रकार केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों को चिकित्सा सुविधा दी जाती है उसी प्रकार पुलिस विभाग में सेवारत् कार्मिकों के लिये मेडिकल सुविधा हेतु केशलेश कार्ड जारी करना चाहिए, जिससे समय रहते अच्छे अस्पतालों में सही ईलाज हो सके।
- आरक्षक /प्रधान आरक्षक विभागीय पद्दोनती परीक्षा में इनाम का बंधन हटाया जाए।
- बस्तर रेंज में पदस्थ निरीक्षकों के साथ भी अन्याय हो रहा है उनको बस्तर रेंज में ही 05 वर्ष से अधिक समय पोस्टिंग हो जाने के बाद भी मैदानी क्षेत्र में स्थानांतरण नहीं किया जाता जिससे उन्हे पारिवारिक दायित्व निर्वहन करने में कठिनाईयों का सामना करना पडता है जिससे उन्हे मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है। ऐसे ही बहुत सी मांगे हैं जिनमें से कुछ मांग बिना बजंट के भी स्वीकृत किया जा सकता है।
परंतु हमारे विभाग के प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के कारण 80000 पुलिस और उनसे जुड़े परिवार आर्थिक एवं मानसिक प्रताड़ना के शिकार हैं। विजय शर्मा, गृहमंत्री से निवेदन करते हुए संजीव ने कहा कि केवल एक तरफा अधिकारियों की बात ना सुनी जाए सिपाहियों की पीड़ा सिपाहियों से भी सुनने का कष्ट करें और बीच का रास्ता निकाला जाए जिससे कि पुलिस परिवार को बार-बार आंदोलन न करना पड़े।अगर हमारी मांगो में विचार नहीं किया जाता तो एक माह बाद विधानसभा घेराव किया जायेगा ,अधिकारियों के मौन रहने से पुलिस परिवार में रोष व्याप्त है ,एक माह बाद आंदोलन के जिम्मेदार अधिकारी होंगे ।