Breaking News

उरी हमले की साजिश में शामिल था ISI, जब US ने दिखाया सबूत तो कैसे हिल गए नवाज शरीफ…

2016 में उरी में इंडियन आर्मी के बेस पर आतंकी हमले को लेकर साजिश में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI शामिल थी।

पूर्व राजनयिक अजय बिसारिया की नई किताब ‘एंगर मैनेटमेंज’ में इसे लेकर कई खुलासे हुए हैं। उरी अटैक में भारतीय सेना के 19 जवान शहीद हो गए थे।

किताब के मुताबिक, हमले के तुरंत बाद अमेरिका ने इसमें ISI की भूमिका को लेकर पाकिस्तान को सबूत सौंपे थे।

पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत ने सितंबर 2016 में घटना के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने एक फाइल सौंपी जिसमें कई सारी बातों के अलावा इसके भी सबूत थे कि यह अटैक आईएसआई की मिलीभगत से हुआ। 

अमेरिकी राजदूत की ओर से पेश किए गए सबूत इतने विश्वसनीय थे कि इसने पाकिस्तानी सेना का सामना करने के लिए शरीफ को प्रेरित किया।

इसके बाद कई सारे घटनाक्रम तेजी से हुए और 2017 में पीएमएल-एन पार्टी प्रमुख को उनके पद से हटा दिया गया। आखिरकार शरीफ को 2018 में आत्मनिर्वासन में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

उरी हमले के बाद US ने किस तरह की भूमिका निभाई, इसे लेकर यह किताब कई नई बातें बताती है। हालांकि, बिसारिया ने बुक में पाकिस्तान में उस अमेरिकी दूत का नाम नहीं लिखा है, जिसने शरीफ से मुलाकात की थी।

आपको बता दें कि तब यह पद डेविड हेल के पास था।

भारत ने संबंध मधुर बनाने की कोशिश की मगर…
जनवरी 2016 में पठानकोट में भारतीय वायु सेना अड्डे पर आतंकी हमला हुआ था।

इसके लिए भी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को दोषी ठहराया गया। इससे पहले भारत पाकिस्तान के साथ संबंधों को मधुर करने की कोशिश में लगा था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपने शपथग्रहण में शामिल होने के लिए नवाज शरीफ को निमंत्रण भेजा था। शरीफ की पोती की शादी में शामिल होने के लिए वह 2015 में लाहौर गए थे।

मगर, इन हमलों ने भारत के प्रयासों को पटरी से उतार दिया। अब दोनों देशों के बीच संबंधों में नरमी आने की संभावना नहीं बची। 

US से इनपुट मिलने पर शरीफ ने बुलाई मीटिंग
किताब में लिखा है कि उरी हमले में ISI की भूमिका पर अमेरिका ने जो जानकारी दी उससे शरीफ निराश हुए। उन्होंने इस मामले पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में नागरिक और सैन्य नेताओं की बैठक बुलाई।

तत्कालीन पाकिस्तान के विदेश सचिव ऐजाज अहमद चौधरी ने प्रेजेंटेशन दी जिसमें कहा गया कि देश को राजनयिक अलगाव का सामना करना पड़ रहा है। पठानकोट हमले की जांच के बाद जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ ऐक्शन की मांग की जा रही है।

इस बैठक को लेकर पाकिस्तान के अखबार डॉन ने सबसे पहले अक्टूबर, 2016 में रिपोर्ट छापी थी।

इसे लेकर विवाद खड़ा हुआ जिसे ‘डॉनगेट’ के नाम से जाना गया। बिसारिया लिखते हैं, ‘क्रोधित और शर्मिंदा पाकिस्तानी सेना ने इसे निर्णायक बिंदु के तौर पर देखा। जैसे कि एक नागरिक नाव को हिला रहा था और पड़ोस में आतंकी भेजने की सोची-समझी नीति पर सवाल उठा रहा था।’

Yogesh Bansal

Editor in Chief

Yogesh Bansal

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button