समय पर नहीं पहुंची महतारी एक्सप्रेस, नवजात ने रास्ते में तोड़ा दम
पेंड्रा मरवाही। छत्तीसगढ़ में गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान सुरक्षित प्रसव कराने के लिए सरकारी अस्पाताल तक पहुंचाने के उद्देश्य से प्रदेशभर में सर्वसुविधायुक्त महतारी एक्सप्रेस संचालित की जा रही है। महतारी एक्सप्रेस की तत्काल सुविधा के लिए टोल फ्री नंबर भी जारी किए गए है जिस पर डायल करते ही कुछ समय बाद महतारी एक्सप्रेस को पहुंचना होता है जिससे पीड़ित महिला का तत्काल इलाज किया जा सके। लेकिन बीते कुछ समय से महतारी एक्सप्रेस जैसी जरूरी सेवाओं पर भी लापरवाही बरती जा रही है। आलम यह है कि आपातकालीन महतारी एक्सप्रेस की लचर व्यवस्था से जच्चा-बच्चा दोनों की जान खतरे में पड़ रही है। समय पर एम्बुलेंस के नहीं पहुंचने पर लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है।
मरवाही के ही नजदीक चंगेरी गांव की एक प्रसूति महिला हीरावती को प्रसव पीड़ा हुआ, जिसके बाद परिजनों ने तुरंत महतारी एक्सप्रेस एम्बुलेंस 102 को कॉल किया। एम्बुलेंस सुविधा के लिए आधे घंटे का समय दिया गया लेकिन एक घंटा के बाद भी एम्बुलेंस मौके पर नहीं पहुंचा। एम्बुलेंस समय पर ना पहुंचने घर पर ही प्रसव हो गया उसके बाद मौके पर एम्बुलेंस पहुंचा लेकिन उसमें टेक्नीशियन नहीं था। फिर भी जच्चा-बच्चा को एम्बुलेंस में बैठाकर ले जाया जा रहा था । वहीं प्रसव के बाद सही समय पर समुचित इलाज न मिलने से नवजात शिशु ने रस्ते में ही दम तोड़ दिया । परिजनों ने रोते-रोते महतारी एक्सप्रेस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि एम्बुलेंस की देरी के कारण ऐसा हुआ है।
ग्राणीणों का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर तमाम शिकायत होने के बाद भी सुनवाई नहीं होती. आपतकालीन सेवा समय में कभी एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं होती । महतारी एक्सप्रेस में इमरजेंसी मेडिकल टैक्नीशियन ना होने से एम्बुलेंस में प्रसव हो जाते हैं, बेहतर स्वास्थ्य देखरेख नहीं होने से नवजात शिशु रास्ते में ही दम तोड रहे हैं. आदिवासी अंचल होने के कारण मरवाही क्षेत्र में महतारी एक्सप्रेस की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रहा है । मरीजों के परिजन महतारी एक्सप्रेस के बदहाल व्यवस्था का दुखड़ा रोते हुए सरकार को कोसते नजर आते हैं । सरकार किसी की भी हो पर इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं पर कोई सुधार नहीं है। गौरतलब है कि सरकार आमजन की बेहतर स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए करोड़ों रुपये की योजना बनाकर काम कर रही है. लेकिन ग्रामीण अंचलों में इसका कोई असर नहीं दिख रहा ।अब देखना यह होगा कि आदिवासी अंचल मरवाही क्षेत्र में प्रसूति महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सुरक्षा कब तक नसीब हो पाता है।