युक्तियुक्तकरण से बदली चचरेल प्राथमिक स्कूल की तस्वीर: बच्चों की उपस्थिति और पढ़ाई में हुआ सुधार, अब दो शिक्षक संवार रहे बच्चों का भविष्य…..

रायपुर: युक्तियुक्तकरण नीति एक ऐसी व्यवस्था है जिसका उद्देश्य स्कूलों और शिक्षकों के बीच संतुलन स्थापित करना है। इसके तहत शिक्षकों को आवश्यकतानुसार विभिन्न स्कूलों में तैनात किया जाता है ताकि किसी भी स्कूल में शिक्षकों की कमी न हो और सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। यह नीति खासतौर पर उन ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में शिक्षा में सुधार लाने पर केंद्रित है, जहां पहले शिक्षकों की भारी कमी थी।

बच्चों की पढ़ाई में निरंतर सुधार

विकासखंड बिलाईगढ़ के शासकीय प्राथमिक शाला चचरेल में युक्तियुक्तकरण नीति लागू होने के बाद शिक्षा व्यवस्था में बहुत सुधार देखने को मिला है। कभी एकमात्र प्रधान पाठक के भरोसे संचालित यह विद्यालय अब दो शिक्षकों की उपस्थिति से नई ऊर्जा और उत्साह से भर गया है। विद्यालय में वर्तमान में 35 बच्चे अध्ययनरत हैं, जिनकी उपस्थिति और रुचि दोनों में वृद्धि हुई है। पहले शिक्षकों की कमी के कारण न तो पढ़ाई सुचारू रूप से चल पा रही थी और न ही अभिभावक बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजने में रुचि दिखा रहे थे। अब अतिरिक्त शिक्षकों की पदस्थापना से कक्षाओं का संचालन व्यवस्थित हुआ है और बच्चों की पढ़ाई में निरंतर सुधार हो रहा है।

 युक्तियुक्तकरण से बदली चचरेल प्राथमिक स्कूल की तस्वीर

बच्चों के भविष्य के प्रति सकारात्मक बदलाव दिख रहा है

पालक नोहर सिंह ने बताया कि पहले एक शिक्षक होने से पढ़ाई प्रभावित हो रही थी, पर अब तीन शिक्षक होने से बच्चों का मन पढ़ाई में लगने लगा है। उन्होंने शासन की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि अब वे निश्चिंत होकर बच्चों को विद्यालय भेज रहे हैं। युक्तियुक्तकरण से बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए “सकारात्मक और दूरदर्शी निर्णय” बताया।

युक्तियुक्तकरण शिक्षा के प्रति विश्वास और उम्मीद का संचार कर रही है

वहीं ग्रामीण नरसिंह नाग ने कहा कि युक्तियुक्तकरण के बाद शिक्षण व्यवस्था में जो सुधार आया है, वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। शिक्षक बच्चों को समर्पण भाव से पढ़ा रहे हैं और ग्रामीण भी समय-समय पर विद्यालय जाकर प्रगति की निगरानी कर रहे हैं। शिक्षा विभाग की यह पहल न केवल विद्यालय बल्कि पूरे गांव में शिक्षा के प्रति विश्वास और उम्मीद का संचार कर रही है।

Yogesh Bansal

Editor in Chief

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