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सरोगेसी के नाम पर अस्पताल की धोखाधड़ी, उपभोक्ता आयोग ने दिए पैसे लौटाने और हर्जाना भरने के आदेश

भोपाल
 मरीज और डॉक्टर के बीच रिश्ता भरोसे का होता है। अगर कोई डॉक्टर या अस्पताल मरीज को धोखा देता है तो वह वित्तीय नुकसान ही नहीं, भरोसे को भी ठेस पहुंचाता है। भोपाल उपभोक्ता आयोग ने ऐसे ही एक मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए एक अस्पताल को मरीज से ली गई पूरी रकम लौटाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही उसे क्षतिपूर्ति देने का भी आदेश दिया है। अस्पताल ने मरीज को सरोगेसी के नाम पर धोखा दिया था।

दरअसल, चूनाभट्ठी निवासी एक दंपती को 15 वर्षों के वैवाहिक जीवन में कोई संतान नहीं थी। बावड़िया कला स्थित पुष्पांजलि सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और डॉ. वर्षा जैन के यहां सरोगेसी से संतानसुख का विज्ञापन देखकर वे वहां पहुंचे। उनका परीक्षण करने के बाद डॉक्टर ने सरोगेसी की सलाह दी। बताया गया कि इस प्रक्रिया पर नौ लाख रुपये का खर्च आएगा। एक बार सफल नहीं हुआ तो यह प्रक्रिया तीन बार की जाएगी। उसके बाद एक अनुबंध कराया गया।

दूसरी महिला मिलने पर बताने की बात कही

बताया गया कि गर्भधारण के लिए उदयपुर से एक महिला को बुलाकर अस्पताल के पहले तल पर रखा गया है। उस महिला से दंपती को कभी मिलने नहीं दिया गया। बाद में कहा गया कि सरोगेसी के लिए आई महिला का गर्भपात हो गया है। वह कभी मां नहीं बन पाएगी। दंपती से कहा गया कि दूसरी महिला मिलने पर उन्हें बताया जाएगा, लेकिन फिर ऐसा हुआ ही नहीं।

कई महीनों बाद भी जब अस्पताल से सूचना नहीं आई तो दंपती ने अपने पैसे वापस मांगे। अस्पताल ने अपना पता बदल दिया। शाहपुरा थाने में शिकायत हुई तो अस्पताल संचालक ने कह दिया कि उसने सरोगेसी का काम छोड़ दिया है। दो साल परेशान होने के बाद 2022 में पीड़ित महिला ने आयोग में याचिका लगाई।
चिकित्सकीय उपेक्षा से इन्कार

सुनवाई के दौरान अस्पताल संचालक का कहना था कि उनके द्वारा कोई चिकित्सकीय उपेक्षा या लापरवाही नहीं की गई है। उनके द्वारा सभी कार्य बीमित हैं। इस कारण बीमा कंपनी उत्तरदायी होगा। बीमा कंपनी ने कहा कि ये सभी प्रक्रियाएं बीमा के अंतर्गत नहीं आती हैं।
3.75 लाख देने का आदेश

सुनवाई के बाद आयोग की अध्यक्ष गिरीबाला सिंह व सदस्य अंजुम फिरोज ने अस्पताल को सेवा में कमी और अनुचित व्यापार का दोषी माना। उन्होंने अस्पताल को आदेश दिया कि वह दो महीने के भीतर दंपती को तीन लाख 75 हजार रुपये अदा करे। इसमें ढाई लाख रुपये इलाज पर हुआ खर्च और एक लाख 25 हजार रुपया मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए तय हुआ।

Yogesh Bansal

Editor in Chief

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