छत्तीसगढ़

आपात स्थिति से निपटने की तैयारी : सुरक्षा के लिए आंबेडकर अस्पताल में बंदूकधारी

ambetkar

रायपुर। सुरक्षा को पुख्ता करने आंबेडकर अस्पताल में पुलिस कर्मियों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव पर अब तक काम पूरा नहीं हुआ है। इधर सशस्त्र बल के लिए ठेका एजेंसी ने बंदूकधारी जवान मुहैया कराया है। मेडिकल कालेज और आंबेडकर अस्पताल के लिए आधा दर्जन सशस्त्र जवानों की ड्यूटी लगाई गई है। अभी रात की पाली में तैनाती की जा रही है और संख्या बढ़ने पर दिन में भी सशस्त्र जवान नजर आएंगे। कोलकाता के आरजी कर कालेज में हुई घटना के बाद शासकीय मेडिकल कालेज रायपुर में भी सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने की आवश्यकता महसूस की गई थी।  इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री द्वारा चौकी में मौजूद पुलिस बल और सशस्त्र जवानों की तैनाती के निर्देश दिए थे।

सितंबर में जारी इस आदेश के बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा पुलिस विभाग को दर्जनभर जवानों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। इस पर अब तक किसी तरह की कार्यवाही नहीं की गई है। वहीं सशस्त्र जवानों की संख्या बढ़ाने के लिए अस्पताल की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली कंपनी सीएमएस को निर्देशित किया था। करीब तीन महीने बाद बंदूकधारी जवानों की तैनाती का काम शुरू कर दिया गया है। शुरुआती दौर में आधा दर्जन रायफल धारी जवानों को तैनात किया गया है, जिसमें से तीन मेडिकल कालेज और तीन अस्पताल की तरफ ड्यूटी कर रहे हैं। आने वाले दिनों में इतने ही जवान और बुलाए जाएंगे, जिसके बाद उन्हें रात के साथ दिन में भी ड्यूटी पर लगाया जाएगा।

वैकल्पिक इंतजाम भी किया

अस्पताल में तैनात चिकित्सकीय स्टाफ को उनके मूल काम में लगाने के लिए आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई गई है। कर्मचारी बढ़ने के बाद सभी को सफाई से लेकर वार्ड बॉय सहित अन्य कार्य करने की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद अस्पताल में मरीज के अटेंडरों द्वारा स्ट्रेचर खींचने अथवा व्हील चेयर धकेलने की शिकायत में कमी आ गई है।

लगातार होती है चोरी की घटनाएं

अस्पताल में छोटी-मोटी चोरी की घटनाएं लगभग रोजाना होती हैं। रात्रि वार्डों के बाहर सोए अटेंडरों के जरूरी सामान और मोबाइल पर अक्सर हाथ साफ कर दिया जाता है। इसी तरह ओपीडी की भीड़भाड़ के बीच भी मरीजों के साथ चिकित्सकीय स्टाफ के सामान पर भी हाथ साफ किए जाने की घटना सामने आती रही है। आती रही है। ज्यादातर मामलों में लोग पुलिसिया शिकायत के बजाए मन मसोसकर रह जाते हैं। इसे देखते हुए रात्रि में भी सुरक्षा जवानों की गश्त का सिस्टम बनाया जा रहा है।

Shreyansh baid

Editor in Chief

Shreyansh baid

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button