निष्क्रिय ब्लॉक और जिला अध्यक्ष बदले जाएंगे, युवा चेहरों को मिलेगी जगह छत्तीसगढ़ निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस में होगा बड़ा बदलाव
रायपुर/ छत्तीसगढ़ में निकाय चुनाव के पहले कांग्रेस में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। पखवाड़े भर में कांग्रेस के खाली पद भरे जा सकते हैं। निष्किय जिलाध्यक्ष का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जा रहा है। जल्द ही इनकी छुट्टी हो सकती है।
निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस कमर कस रही है। बुधवार को पीसीसी चीफ दीपक बैज राजीव भवन में जिलाध्यक्षों की बैठक लेंगे। उन्होंने कहा कि, वह इस बैठक में निकाय चुनाव की तैयारी को लेकर जानकारी लेंगे। वहीं जिलाध्यक्षों के काम की रिपोर्ट भी लेंगे। खाली पदों को भी भरा जाएगा।
दरअसल, निकाय चुनाव के पहले कांग्रेस जमकर धरना प्रदर्शन की राजनीति भी करने की तैयारी में है। जिससे निकाय चुनाव के पहले आक्रामक छवि बनाई जा सके। दीपक बैज ने कहा कि, जल्द ही संगठन में खाली पदों को भरा जाएगा। साथ ही निष्क्रिय जिलाध्यक्षों को भी बदला जाएगा। इसके पहले कांग्रेस के प्रभारी सहसचिव विजय जांगिड़ भी यह कह चुके हैं।
युवा चेहरों को मिलेगा मौका
संगठन में होने वाली नियुक्तियों में युवा चेहरों को हर स्तर में तरजीह मिलेगी। बैज ने बताया कि, कांग्रेस में पीसीसी और डीईसी को देखेंगे, तो आपको युवा चेहरे ज्यादा मिलेंगे। करीब 80% युवाओं को जिम्मेदारी दी गई है।
उन्होंने कहा कि, उदयपुर संकल्प शिविर में कांग्रेस पार्टी ने तय भी किया था कि युवाओं को संगठन और सत्ता में ज्यादा मौका मिलेगा। पिछले दिनों कांग्रेस में जो नियुक्तियां की गई है। उनमें युवा सबसे ज्यादा है और आने वाला समय में युवाओं को सबसे ज्यादा मौका मिलेगा। इसके लिए कांग्रेस ने एक्सरसाइज शुरू कर दी है।
ब्लॉक और जिला अध्यक्षों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार
काम करने वालों की परफॉर्मेंस की मॉनिटरिंग और समीक्षा पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने अपने स्तर पर की है। अब बुधवार की बैठक में इस पर चर्चा होगी। जाहिर तौर पर निकाय चुनाव को लेकर जल्द आचार संहिता लग सकती है। साथ ही चुनाव की तैयारी को लेकर बहुत समय भी नहीं है।
इसलिए नई नियुक्तियों का ऐलान कभी भी हो सकता है। कांग्रेस को खूब कमर कसनी पड़ेगी, क्योंकि पार्टी के खुद कार्यकर्ता लगातार असंगठित नजर आ रहे हैं। वहीं, हार और कांग्रेस के सत्ता में होने के बाद जैसे उनको नजरअंदाज किया गया वो भूले नहीं है। ऐसे में पार्टी में ब्लॉक से लेकर जिलास्तर पर ऐसे नेतृत्व की जरूरत है, जो फिर से कार्यकर्ताओं को साध सके।