छत्तीसगढ़

सार्थक संवाद: बस्तर को नक्सलमुक्त करेंगे, नक्सली सरेंडर करें या उन्हें गोली का जवाब गोली से मिलेगा

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रायपुर। बस्तर का हर वर्ग चाहता है कि नक्सलवाद से मुक्ति मिले। हमारी सरकार भी नक्सलवाद से बस्तर को मुक्त कराने की दिशा में काम कर रही है। बस्तर वासियों का सपना हमारी सरकार जरूर पूरा करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त कराने की योजना है। इस पर काम हो रहा है। नक्सली या तो हथियार काम हो रहा है। नक्सली या तो हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटें, नहीं तो उनकी गोली का जवाब गोली से भी दिया जाएगा।

कैसा बीता एक साल?
एक साल कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। कितना लंबा समय देखते-देखते बीत गया। हमारी चिंता तो मोदी की गारंटी को पूरा करने पर थी। 2023 के विधानसभा चुनाव में हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो वादा किया था छत्तीसगढ़ की जनता से, छत्तीसगढ़ की जनता ने मोदी की गारंटी पर विश्वास करके भाजपा को जीत दिलाई और सरकार बनाने का मौका दिया। हमारी भी जिम्मेदारी थी कि मोदी की गारंटी को पूरा करें और जनता के विश्वास पर खरे उतरे। हमने वादा किया था जब सरकार बनेगी तो सबसे पहले जो 18 लाख गरीब पीएम आवास से वंचित रह गए हैं, उनको आवास देने का काम करेंगे। हमारी सरकार बनने के बाद हमारी सरकार ने यही काम सबसे पहले किया। 13 दिसंबर को शपथ लेने के बाद 14 दिसंबर को पहली कैबिनेट में 18 लाख आवास की स्वीकृति दी। 8 लाख 46 हजार आवासों की एक साल में मंजूरी भी केंद्र सरकार से मिल गई है। बस्तर का नक्सल पीड़ित इलाका है, वहां के लिए भी अलग से 15 हजार पीएम आवास की मंजूरी मिली है। नगरी क्षेत्र के लिए 15 हजार आवास की अलग से स्वीकृति मिल गई है। ऐसे में हमने पीएम का पहला वादा पूरा किया। इसके बाद किसानों से वादा था दो साल का बकाया बोनस देना का, उसको भी हमने बीते साल 25 दिसंबर को दे दिया। 21 क्विंटल धान खरीदी का वादा भी पूरा किया। अंतर की राशि भी एक मुश्त देने का काम किया। तेंदूपत्ता का भी वादा था। उसको चार हजार से बढ़ाकर साढ़े पांच हजार प्रति बोरा देने का वादा भी हमारी सरकार ने पूरा किया है। राम लला दर्शन योजना प्रारंभ की। अब तक 20 हजार इसका लाभ ले चुके हैं। पीएससी घोटाले की सीबीआई जांच की बात की गई थी, उसको भी पूरा किया है। अब दोषी जेल भी जाने लगे हैं। ये सब करते- करते कैसे एक साल पूरा हो गया, पता ही नहीं चला।

Suraj Makkad

Editor in Chief

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