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हमारे देश का सबसे पवित्र ग्रंथ है संविधान: राष्ट्रपति मुर्मू

नयी दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान को देश का सबसे पवित्र ग्रंथ बताते हुए मंगलवार को कहा कि इस प्रगतिशील और जीवंत दस्तावेज के माध्यम से राष्ट्र ने सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लक्ष्यों को हासिल किया है।

संविधान को अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा, ‘‘हमारा संविधान हमारे लोकतांत्रिक गणतंत्र की सुदृढ़ आधारशिला है। हमारा संविधान जीवंत और प्रगतिशील ग्रंथ है। हमारे संविधान के माध्यम से हमने सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया है।’’ उन्होंने संविधान सभा के अध्यक्ष एवं प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और संविधान के रचनाकार डॉ बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के योगदान का भी उल्लेख किया।

राष्ट्रपति ने संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों के योगदान का भी स्मरण किया। मुर्मू ने संसद के केंद्रीय कक्ष में सांसदों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आज अग्रणी अर्थव्यवस्था होने के साथ साथ हमारा देश विश्वबंधु की भूमिका भी निभा रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘संविधान की भावना के अनुसार कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का दायित्व मिल-जुलकर नागरिकों के जीवन को सुगम बनाना है। संसद द्वारा पारित किए गए अधिनियमों से इन आकांक्षाओं को मजबूती मिली है।’’

मुर्मू ने कहा, ‘‘देश के आर्थिक एकीकरण के लिए स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रूप में किया गया है। वर्ष 2018 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।’’

उन्होंने कहा कि महिला नीत विकास को यथार्थ रूप देने के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया गया जिससे महिला सशक्तीकरण के नए युग की शुरुआत हुई है। मुर्मू ने देश में दंड के स्थान पर न्याय की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए तीन नए आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का भी जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने देश के सभी वर्गों, विशेष रूप से कमजोर वर्ग के विकास के लिए अनेक कदम उठाए हैं जिनसे उनका जीवन बेहतर हुआ है। मुर्मू ने कहा कि गरीबों को पक्का घर, बिजली, पानी, सड़क के साथ खाद्य सेवा और चिकित्सा सुविधा मिल रही है।

मुर्मू ने कहा कि समग्र और समावेशी विकास के ऐसे अनेक प्रयास हमारे संवैधानिक आदर्शों को आगे बढ़ाते हैं।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के प्रयासों से न्यायपालिका लोगों को न्याय दिलाने की दिशा में अनेक प्रयास कर रही है।

Suraj Makkad

Editor in Chief

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