छत्तीसगढ़

बिलासपुर में बिना अनुमति रेलवे ने काट दिए 242 पेड़: HC के चीफ जस्टिस भड़के, दो सप्ताह के भीतर सरकार और रेलवे से मांगा जवाब

बिलासपुर/ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में रेलवे जोनल मुख्यालय ने पर्यावरण विभाग से बिना परमिशन लिए 242 पेड़ों की कटाई कर दी। दरअसल, रेलवे को जोनल स्टेशन बिलासपुर में कोचिंग डिपो के पास वंदे भारत के लिए मेंटेनेंस डिपो बनाना था। इसके लिए रेलवे में पर्यावरण विभाग से 242 पेड़ काटने की मंजूरी मांगी थी। लेकिन पर्यावरण विभाग मामले में कोई एक्शन लेता इससे पहले ही रेलवे ने पेड़ों की कटाई कर डिपो का निर्माण शुरू कर दिया। अब इस मामले काे लेकर हाईकोर्ट ने रेलवे को फटकार लगाई है।

इस पूरे इंसिडेंट को जनहित याचिका मानकर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु ने सुनवाई शुरू की है। इस दौरान नाराज हाईकोर्ट ने कहा-

“क्या रेलवे के पास पेड़ काटने की विशेषज्ञता है। अफसरों को पर्यावरण की परवाह है या नहीं?”

कोर्ट ने मामले में रेलवे और राज्य शासन को शपथपत्र के साथ दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। मामले पर अपना पक्ष रखते हुए रेलवे के अधिकारियों ने काेर्ट काे बताया है कि 160 पेड़ों की कटाई की गई है। जबकि 54 पेड़ों को शिफ्ट कर दूसरी जगह पर लगाया गया है। वहीं मौके पर 75 पेड़ लगे हुए हैं।

हाईकोर्ट ने पूछा – बिना अनुमति क्यों काटे पेड़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सिन्हा ने गंभीरता से लेते हुए जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है। इस दौरान डिवीजन बेंच ने रेलवे और राज्य शासन के अफसरों से पूछा कि बिना अनुमति इस तरह पेड़ों की कटाई कैसे कर दी गई। रेलवे को पर्यावरण सुरक्षा को लेकर कोई चिंता है भी या नहीं।

बड़ी संख्या में हरे-भरे पेड़ों की कटाई हो गई और वन विभाग के अफसर भी उदासीन बने रहे। नाराज चीफ जस्टिस ने इस केस में रेलवे के अफसरों के साथ ही राज्य शासन को शपथ पत्र के साथ जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी।

एडवोकेट जनरल ने रखा वन विभाग का पक्ष सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल प्रफुल्ल एन भारत ने कोर्ट कोबताया कि पेड़ों को काटने के लिये रेलवे ने वन विभाग से अनुमति मांगी थी। जिस पर DFO ने पेड़ों की गणना पत्रक और वृक्ष विदोहन की प्राक्कलन राशि बनाने के लिए रेंजर को निर्देशित कर लेटर जारी किया था। लेकिन वन विभाग की प्रक्रिया और अनुमति के पहले ही रेलवे ने पेड़ों की कटाई कर दी।

Suraj Makkad

Editor in Chief

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