खुशखबरी: अब बिना पैसे के नहीं छोड़नी पड़ेगी पढ़ाई, पीएम मोदी ने लॉन्च की धांसू योजना
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार (6 नवंबर) को पीएम विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी दी, जिसके तहत देशभर के 22 लाख से ज्यादा छात्रों को बिना जमानत (कोलेटरल फ्री) और गारंटर के शिक्षा ऋण (एजुकेशन लोन) प्रदान किया जाएगा। इस स्कीम का उद्देश्य सार्वजनिक और निजी संस्थानों में हायर एजुकेशन के लिए छात्रों को आर्थिक मदद प्रदान करना है, ताकि हर किसी के लिए क्वालिटी एजुकेशन सुलभ हो सके।
पीएम विद्यालक्ष्मी योजना की विशेषताएं
1) योग्यता और कवरेज
पीएम विद्यालक्ष्मी स्कीम का फायदा उन छात्रों को मिलेगा, जिन्होंने गुणवत्ता उच्च शिक्षा संस्थानों (QHEIs) में दाखिला ले लिया है। इसमें एनआईआरएफ (NIRF) रैंकिंग के शीर्ष 100 इंस्टीट्यूट, राज्य सरकार के 101-200 रैंकिंग में आने वाले उच्च शिक्षा संस्थान और केंद्रीय सरकार द्वारा संचालित सभी संस्थान शामिल हैं। शुरुआत में 860 संस्थानों को इस योजना से जोड़ा गया है और यह लिस्ट सालाना आधार पर अपडेट होगी।
2) लोन डिटेल
इस योजना के तहत छात्रों को बिना जमानत और गारंटर के एजुकेशन लोन दिया जाएगा, जो पूरी ट्यूशन फीस और कोर्स की अन्य खर्चों को कवर करेगा। जिन छात्रों की सालाना पारिवारिक इनकम 8 लाख रुपए तक है, उन्हें 10 लाख रुपए तक के लोन पर 3% ब्याज सब्सिडी मिलेगी। यह लाभ हर साल करीब एक लाख छात्रों को मिलेगा।
3) अतिरिक्त सहायता
यह योजना केंद्रीय क्षेत्रीय ब्याज सब्सिडी (CSIS) और शिक्षा ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी फंड योजना (CGFSEL) को भी सपोर्ट करेगी। जिन छात्रों की वार्षिक पारिवारिक आय 4.5 लाख रुपए तक है और वे टेक्नीकल या वोकेशनल कोर्स कर रहे हैं, उन्हें अधिस्थगन अवधि के दौरान 100% ब्याज सब्सिडी मिलेगी। 7.5 लाख रुपए तक के लोन के लिए योजना में 75% क्रेडिट गारंटी भी दी गई है, जिससे बैंकों को लोन के रिस्क मैनेजमेंट में सहायता मिलेगी।
4) आवेदन और वितरण
- उच्च शिक्षा विभाग इसके लिए एक इंटीग्रेटेड पोर्टल की शुरुआत करेगा, जहां छात्र एजुकेशन लोन और ब्याज सब्सिडी दोनों के लिए आवेदन कर सकेंगे। सब्सिडी का भुगतान ई-वाउचर और केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) वॉलेट के जरिए किया जाएगा।
- पीएम विद्यालक्ष्मी योजना डिजिटल प्रोसेस के माध्यम से छात्रों को आर्थिक सहायता प्रदान करके उच्च शिक्षा को और भी सुलभ बनाने के लिए मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई है, ताकि वे किसी भी आर्थिक रुकावट के बिना अपने हायर एजुकेशन के सपनों को पूरा कर सकें।