दंतेवाड़ा मामले से पहले कांड में गई कई की रोशनी: राज्य में अब तक 6 बड़े नेत्रकांड, सभी में दवाओं ने खराब की आंखें
रायपुर/ दंतेवाड़ा में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद संक्रमण से पहले राज्य में अब तक ऐसे 6 बड़े कांड हो चुके हैं। इन सभी में चार-पांच मरीजों की एक-एक आंख की रौशनी हमेशा के लिए चली गई। नेत्रकांड के बाद मोतियाबिंद की सर्जरी में उपयोग की गई एक-एक दवा की जांच की गई।
पैथालॉजी और माइक्रोबायोलॉजी टेस्ट में खुलासा हुआ था कि कहीं मरीजों की सर्जरी के दौरान खराब गुणवत्ता तो कहीं खराब हो चुकी दवा का उपयोग किया गया। उसके बाद ड्रग विभाग ने सभी दवा कंपनियों के खिलाफ कोर्ट में औैषधि अधिनियम की अलग-अलग धाराओं के तहत केस दर्ज किया, लेकिन एक भी मामले में अब तक किसी भी दवा कंपनी के जिम्मेदारों को सजा नहीं मिली है।
एंट्रोबेक्टर बैक्टीरिया मिला मरीजों की आंखों में
अंबेडकर अस्पताल में मरीजों की सर्जरी के बाद उनके आंखों से निकले पस की जांच कर ली गई है। सभी मरीजों की आंखों में एंट्रोबेक्टर बैक्टीरिया मिला है। ये बैक्टीरिया अब किस वजह से मरीजों की आंखों में फैला है? इसकी जांच की जाएगी। सर्जरी के विशेषज्ञों के अनुसार ये बैक्टीरिया कई कारणों से हो सकता है। इसमें दवा, उपकरण से लेकर हवा तक वजह हो सकती है। शेष|पेज 15
सजा किसी को नही, 3 दवा कंपनियों पर कोर्ट में केस
भास्कर को पड़ताल में पता चला है कि तीन कंपनियों के खिलाफ अभी कोर्ट में केस चल रहा है। एक के डायरेक्टरों और जिम्मेदारों को कोर्ट ने बरी कर दिया, क्योंकि ड्रग विभाग उनके खिलाफ कोई मजबूत सबूत ही पेश नहीं कर सका। कोर्ट ने इसी टिप्पणी के साथ सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।
दंतेवाड़ा कांड में जिस ऑपरेशन थिएटर में मरीजों की सर्जरी की गई है वहां का कल्चर भी लिया गया है। ताकि ये पता लगाया जा सके कि ओटी में किसी तरह का इंफेक्शन तो नहीं था। इसके अलावा मरीजों की सर्जरी के लिए जितनी भी दवाओं का उपयोग किया गया है, उन सभी के सैंपल लिए गए हैं।
सीजीएमएससी ने मंगवाए सैंपल
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन सीजीएमएससी ने दंतेवाड़ा में जितनी भी दवाएं और इंजेक्शन सप्लाई किए हैं, उन सभी का सैंपल मंगवा लिया गया है। अफसरों का कहना है कि सीजीएमएससी लेबोरेटरी में टेस्ट करने के बाद ही दवाओं की सप्लाई करती है।
इन कंपनियों पर कोर्ट में केस
- सुप्रासिप टेबलेट निर्माता कंपनी मैसर्स मेनकेयर लेबोरेट्रीज देहरादून, 2013 से
- एट्रोवेक इंजेक्शन निर्माता कंपनी मैसर्स नितिन लाइफ साइंस लिमिटेड, 2013 से
- एमबी डेक्सा निर्माता कंपनी मैसर्स मार्टीन एंड ब्राउन बायो साइंसेस हिमाचल, 2019 से
- मेडीसेफ स्प्रीट निर्माता कंपनी मैसर्स कैटी लैब उज्जैन, 2015 से
इधर कार्रवाई जारी… माइक्रोबायलॉजिस्ट, जूनियर साइंटिस्ट की सेवा खत्म, तीन और मरीज मिले
दंतेवाड़ा| जिला अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। सोमवार को तीन और नए मरीज सामने आए, जिन्हें ऑपरेशन के बाद बिना जांच के ही हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई थी। अब उनकी आंखों में संक्रमण है। इनमें उदेला गांव की एक बुजुर्ग भी शामिल है, जिसे पूरी तरह से दिखना बंद हो गया है।
सीएमएचओ अजय रामटेके ने बताया कि अभी दो मरीजों को रायपुर और एक को जगदलपुर मेडिकल कॉलेज भेजा गया है। इस बीच, सरकार एक्शन मोड में है। सोमवार को जूनियर साइंटिस्ट अभिषेक मंडल और माइक्रोबायलॉजिस्ट उमाकांत तिवारी की सेवा समाप्ति के आदेश दिए गए हैं। इन दोनों की नियुक्ति डीएमएफ के जरिये संविदा में की गई थी।
ओटी में होने वाले ऑपरेशन में इनकी भूमिका थी। एक दिन पहले, ऑपरेशन करने वाली डॉक्टर गीता नेताम, ओटी इंचार्ज ममता वैद्य और स्टाफ नर्स दिप्ती टोप्पो को सस्पेंड कर दिया गया था। मामले को दैनिक भास्कर ने प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद वन मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया था।