72 की जगह 10 ऑफिसर, स्पेशल सिक्योरिटी कैडर में स्टाफ की कमी; संसद सुरक्षा चूक को लेकर बड़ा खुलासा…
13 दिसंबर को लोकसभा की सुरक्षा में हुई चूक मामले की जांच जारी है। इसे लेकर दिल्ली पुलिस के 8 कर्मियों को सस्पेंड किया जा चुका है।
साथ ही पार्लियामेंट सेक्योरिटी सर्विस (PSS) की भी समीक्षा की जा रही है। यही स्पेशल कैडर संसद के भीतर आने-जाने पर नजर रखता है।
इसके अलावा, संसद के VVIP लोगों की सुरक्षा को लेकर कोऑर्डिनेशन का जिम्मा भी इसी के पास है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएसएस के पास फिलहाल स्टाफ की कमी है। सिक्योरिटी को लेकर इनके पास जो टेक्नोलॉजी है वो भी आउटडेटेड हो चुकी है।
रिपोर्ट में बताया गया कि PSS के लिए जितने लोगों की टीम को मंजूरी दी गई, हकीकत में यह संख्या उससे बहुत कम है।
इसके चलते एंट्री लेवल सिक्योरिटी पोस्ट पर सबसे कम स्टाफ तैनात रहते हैं जो कि संसद के भीरत आने वाले लोगों, गाड़ियों और सामानों की जांच करते हैं।
सुरक्षा के लिहाज से यह पहला फिल्टर लेवल होता है। रिपोर्ट में बताया गया कि लोकसभा के लिए 72 सिक्योरिटी असिस्टेंट ग्रेड II ऑफिसर होने चाहिए, मगर मौजूदा तादाद 10 ही है। एंट्री लेवल टेक्निकल स्टाफ के लिए सिक्योरिटी असिस्टेंट ग्रेड II (टेक) के 99 लोगों की मंजूरी है, मगर यह संख्या 39 ही है।
69 की जगह 24 कर्मियों का स्टाफ
लोकसभा में सेकंड रिंग ऑफ सिक्योरिटी पर्सनल पार्लियामेंट हाउस गेट पर तैनात होते हैं। इसके लिए कुल 69 कर्मियों के स्टाफ की मंजूरी है मगर अभी ये 24 ही हैं।
इससे भी बड़ी बात यह है कि इस साल की शुरुआत से ही ज्वाइंट सेक्रेटरी (सिक्योरिटी) का पोस्ट खाली है जिसके अंडर में लोकसभा और राज्यसभा की सुरक्षा के लिए PSS काम करता है।
सुरक्षा में चूक की घटना के एक दिन बाद ही केंद्र सरकार ने इसे लेकर कदम उठाए और सभी राज्यों को इस पद पर नॉमिनेशन के लिए पत्र भेजा गया। इसे लेकर भी सवाल उठे कि इतना अहम पद खाली क्यों छोड़ा गया था।
अब तक 6 आरोपियों की गिरफ्तारी
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने संसद सुरक्षा चूक मामले में संलिप्तता के लिए अब तक 6 लोगों गिरफ्तार किया है।
ये हैं- सागर शर्मा, मनोरंजन डी, अमोल शिंदे, नीलम देवी, ललित झा और महेश कुमावत। इन पर कड़े गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने आरोपियों के सोशल मीडिया खातों और अब हटाए गए फेसबुक पेज भगत सिंह फैन क्लब के विवरण तक पहुंचने के लिए मेटा को पत्र लिखा है।
‘भगत सिंह फैन क्लब’ के जरिए ही ये आरोपी एक-दूसरे के संपर्क में आए थे। पुलिस सूत्रों ने सोमवार को बताया कि पुलिस ने सभी आरोपियों के बैंक खाते का विवरण भी एकत्र किया है ताकि यह पता किया जा सके कि क्या उन्हें 13 दिसंबर की घटना को अंजाम देने के लिए किसी से पैसे मिले हैं।