छत्तीसगढ़

पटवारियों की हड़ताल खत्म : राजस्व मंत्री से की मुलाकात, टंकराम वर्मा बोले- 34 मांगों पर हुई चर्चा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पटवारियों की चल रही हड़ताल खत्म हो गई है। राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने पटवारियों से मुलाकात के बाद उनकी मांगों पर विचार किया है। जिसके बाद ये हड़ताल खत्म कर दी गई है। पटवारी अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे। गुरुवार को राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने पटवारी संघ के नेताओं को मुलाकत करने के लिए बुलाया था। तक़रीबन 40 मिनट तक चली बैठक के बाद पटवारियों अपनी मांगों को रखा।

पटवारियों से मुलाकात के बाद मंत्री ने टंकराम वर्मा ने उनकी मांगों पर विचार किया। जिसके बाद मंत्री और पटवारियों की बैठक खत्म हुई। बैठक खत्म होने के बाद उन्होंने कहा कि, पटवारियों की हड़ताल खत्म हो गई है, उनकी 34 मांगो पर चर्चा हुई है। अभी से ही पटवारी अपने अपने काम पर लौट जाएंगे। हालांकि, पटवारी संघ के द्वारा अभी तक के इस पर किसी तरह का कोई बयान नहीं आया है।

धरने पर बैठे थे 5 हजार पटवारी 

उल्लेखनीय है कि, प्रदेश के 5 हजार से ज्यादा पटवारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये थे। पटवारियों द्वारा हड़ताल करने की वजह से राजस्व विभाग के सभी कामकाज ठप हो गये। प्रदेशभर में पटवारियों ने ये आंदोलन राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा की अपील को ठुकराते हुये 8 जुलाई से 32 सूत्रीय मांगों को लेकर नया रायपुर धरना स्थल में शुरू किया था। साथ ही अलग अलग जिलों में भी ये प्रदर्शन जारी था।

पटवारी संघ ने बताई अपनी परेशानियां 

पटवारी संघ का कहना है कि, ऑफिस में ऑनलाइन कामों के लिए कंप्यूटर, इंटरनेट, प्रिंटर, स्कैनर जैसे अन्य सुविधाएं उन्हें नहीं मिल रही है। डिजिटल हस्ताक्षर 100 प्रतिशत करने के लिए शासन स्तर पर दबाव बनाया जाता है। पटवारी अपने खर्च से ही डिजिटल टोकन बनाते हैं, इसके बाद भी अधिकारियों द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। आनलाइन रजिस्ट्री होने के बाद नामांतरण के लिए पटवारी की आईडी में आता है. जिसमें क्रेता-विक्रेता से संबंधित सारी जानकारी अंग्रेजी में रहती है। जिसे हिंदी में टाइप करना पड़ता है। लिपिकीय त्रुटि हो सकती है, जिसके लिए पटवारी को ही दोषी समझा जाता है। इनका आरोप ये भी है कि शासन की तरफ से न तो उन्हें नेट भत्ता दिया जाता है और न ही आवश्यक संसाधन दिया जा रहे है।

भुइंया पोर्टल को अपडेट करने की मांग 

पटवारियों ने ये भी मांग की है कि भूमि, खरीद-बेच में रजिस्ट्री के साथ ही भुइंया पोर्टल पर भी इसे अपडेट किया जाना चाहिए। ऑनलाइन नक्शा, बटांकन, संशोधन पहले पटवारी आईडी में संशोधित कर राजस्व निरीक्षक की आईडी में भेजा जाता है। अगर राजस्व निरीक्षक की आईडी से अनुमोदन नहीं होता है, तो उसी नक्शे से संबंधित अन्य बटांकन या संशोधन नहीं करने मिलता है, जिसके कारण बेवजह विलंब होता है।

Suraj Makkad

Editor in Chief

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