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एग्जिट पोल आते ही दलों की बढ़ी धड़कनें, बागी और निर्दलियों पर डाल रहे डोरे…

 पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में एक्जिट पोल अनुमानों के बाद राजनीतिक सक्रियता बढ़ गई है।

तीन दिसंबर को असल नतीजों का इंतजार कर रहे राजनीतिक दल इन दो दिनों में चुनाव मैदान में मजबूत माने जा रहे अपने दल के बागी, निर्दलीय व अन्य छोटे दलों के उम्मीदवारों से संपर्क साध रहे हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर उनको साथ लाया जा सके।

बंटे हुए एग्जिट पोल अनुमान किसी भी राज्य में एक राय नहीं बना सके हैं।

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले हुए इन पांच राज्यों के चुनाव इन राज्यों में सत्ता हासिल करने के साथ भाजपा व कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए भी बेहद अहम हैं।

ऐसे में दोनों ही दलों की कोशिश किसी भी तरह सत्ता हासिल करने की है। कांटे की लड़ाई में मतदान बाद आए एग्जिट पोल अनुमान भी बंटे रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, रविवार को असल नतीजे आने के पहले ही दोनों दलों के रणनीतिक प्रबंधन सक्रिय हो गए हैं। यह नेता चुनाव लड़ रहे अपने मजबूत बागियों के साथ निर्दलीय व अन्य छोटे दलों के साथ भी संपर्क बना रहे हैं, ताकि कम-ज्यादा सीट आने पर उनको अपने साथ लाया जा सके।

राजस्थान में 2018 में भी बागी और निर्दलीय के समर्थन से कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। उस समय कांग्रेस 100 सीटें हासिल कर स्पष्ट बहुमत से मात्र एक सीट पीछे रही थी। उस समय उसने 12 बागी और निर्दलीय विधायकों का समर्थन लिया था।

मध्य प्रदेश व राजस्थान में कड़ी टक्कर
मध्य प्रदेश में भी 2018 में कांग्रेस, भाजपा की 109 सीटों से पांच सीटें ज्यादा यानी 114 सीटें जीती थीं, लेकिन स्पष्ट बहुमत से दो सीटें पीछे रही थी।

तब उसने भी निर्दलीय और अन्य छोटे दलों के समर्थन से सरकार बनाई थी। इस बार भी इन दोनों राज्यों मध्य प्रदेश व राजस्थान में कड़ी टक्कर की संभावना है। ऐसे में दोनों दल अपनी अपनी तैयारी में जुट गए हैं।

तेलंगाना के बारे में भी स्थिति साफ नहीं
तेलंगाना के बारे में भी स्थिति साफ नहीं है। वहां पर भी निर्दलीय, बागी और अन्य छोटे दल अहम भूमिका निभा सकते हैं।

मिजोरम में जेडपीएम-एमएनएफ में कड़ा मुकाबला
यही स्थिति मिजोरम की भी है। जेडपीएम और एमएनएफ में कड़ा मुकाबला है। कांग्रेस भी मजबूती से लड़ी है। भाजपा भी अपनी शुरुआती उपस्थिति दर्ज करा सकती है।

ऐसे में नई सरकार के लिए जोड़तोड़ हो सकती है। छत्तीसगढ़ में कड़े मुकाबले के बावजूद संभावना है कि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिल सकता है। राज्य में निर्दलीय और बागियों की ज्यादा भूमिका की संभावना नहीं है।

Yogesh Bansal

Editor in Chief

Yogesh Bansal

Editor in Chief

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