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अपने बच्चों को पाकिस्तान ले जा सकती हैं अंजू? क्या कहता है भारत का कानून…

फेसबुक पर दोस्ती के बाद नसरुल्लाह से मिलने पाकिस्तान जाने वाली और फिर वहीं निकाह करने वाली अंजू इस सप्ताह भारत लौटी हैं।

अंजू ने अपना नाम बदलकर फातिमा कर लिया है। सूत्रों का कहना है कि अंजू से भारत के अधिकारियों ने पूछताछ की। पूछताछ के दौरान उनसे अपना शादी का सर्टिफिकेट दिखाने को कहा गया जिसे वह पेश नहीं कर पाईं।

अंजू ने बताया कि वह भारत अपने पहले पति अरविंद को तलाक देने और अपने बच्चों को पाकिस्तान ले जाने आई हैं। हालांकि बच्चों को लेकर पाकिस्तान चले जाने इतना आसान नहीं है।

अंतरराष्ट्रीय कानून की वजह से बच्चों की कस्टडी लेकर दूसरे देश जाना बहुत बड़ी चुनौती है। 

क्या हैं कानूनी दांवपेच

सबसे मुश्किल काम तो यही है कि किस देश का कानून तय करेगा कि किसी बच्चों की कस्टडी मिलनी चाहिए। इसमें बच्चों की नागरिकता, मनपसंद जगह, जन्मस्थान का भी मामला आता है।

अब तलाक की प्रक्रिया किस देश में शुरू हो यह भी अलग विषय है। वहीं भारत और पाकिस्तान के बीच बच्चों की कस्टडी को लेकर क्या समझौता हुआ है, यह मायने रखता है। अंतरराष्ट्रीय कानूनों का भी सहारा इसमें लिया जा सकता है। 

बच्चों की कस्टडी का फैसला दोनों देशों की संस्कृतियों पर भी डिपेंड करेगा। कोर्ट बच्चों को सांस्कृतिक लगाव और जीवनशैली के अनुसार भी कस्टडी दे सकता है।

इसके अलावा दोनों तरफ से अंतरराष्ट्रीय परिवार कानून की भी जानकारी होनी चाहिए। भारत और पाकिस्तान के संबंध वैसे भी अच्छे नहीं हैं। ऐसे में दोनों के लीगल सिस्टम में अंतर की वजह से भी इस मामले में कठिनाई आ सकती है। वहीं एक देश में कोर्ट जो आदेश करता है जरूरी नहीं है कि वह दूसरे देश में माना जाए। 

इस तरह के मामले कोर्ट में लंबे चल सकते हैं। इसके अलावा इसमें खर्च भी काफी आता है। हो सकता है कि दूसरे देश को बार-बार आना जाना पड़े जो कि बहुत महंगा पड़ता है।

वहीं दूसरी तरफ इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बच्चों की मर्जी के खिलाफ भी कस्टडी नहीं दी जा सकती है। वहीं अगर पैरंट्स में से कोई एक आदेश को नहीं मानता है और जबरन बच्चों को लेकर दूसरे देश चला जाता है तो भी कानूनी उलझन पैदा हो जाएगी। 

Yogesh Bansal

Editor in Chief

Yogesh Bansal

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