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मुंबई को भी दिल्ली ना बनाओ, हाई कोर्ट ने घटा दिया पटाखे फोड़ने का समय; जानें क्या कहा…

बारिश के बाद दिल्ली वालों को प्रदूषण से राहत मिली है। हालांकि रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि दिवाली के बाद एक बार फिर प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है।

इस बार राजधानी दिल्ली के साथ ही मुंबई में भी प्रदूषण ने लोगों को परेशान कर दिया। इसी को देखते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए दिवाली पर पटाखे जलाने का समय तीन से घटाकर दो घंटे कर दिया।

जस्टि डीके उपाध्याय ने कहा, इसे मुंबई ही रहने दीजिए, दिल्ली ना बनने दीजिए। बता दें कि मुंबई में भी कुछ जगहों पर वायु की गुणवत्ता बेहद खराब स्तर में पहुंच गई है।

जस्टिस आरिफ डॉक्टर और डीके उपाध्याय की बेंच ने वायु प्रदूषण की हालत को देखते हुए दिवाली पर पटाखे फोड़ने के समय में कटौती कर दी। कोर्ट ने कहा कि शहर में वायु की गुणवत्ता सुधारने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

कोर्ट ने पहले शाम को 7 बजे से रात 10 बजे तक पटाखे फोड़ने की इजाजत दी थी लेकिन इसमें  सुधार करते हुए इसे 8 बजे से 10 बजे तक कर दिया गया।

वहीं स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने अपने 6 नवंबर के फैसले को बरकरार रखते हए कचरा और मलबा ले जाने वाले वाहनों पर रोक जारी रखी है।

अब 19 नवंबर के बाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन फैसला करेगा कि कचरे की गाड़ी को इजाजत देनी है या नहीं। बेंच ने कहा कि जानकारों की मदद लेकर इश प्रदूषण की वजह और निदान के बारे में अध्ययन करना जरूरी है।

कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में कोई एक्सपर्ट नहीं है। वहीं ऐवोकेट जनरल बिरेंद्र सराफ ने भरोसा दिया कि सरकार इस मामले को गंभीरता से लेगी और जरूरी कदम उठाएगी। कोर्ट ने कहा कि हवा में जो सुधार हुआ है वह बारिश की वजह से हुआ है। सरकार ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया। 

मुंबई नगर निगम की तरफ से पेश हुए वकील मिलिंद साथे ने कहा कि 1623 निर्माण की जगहों में से 1065 को नियमों के उल्लंघन मामले में नोटिस जारी किया  गया है।

कोर्ट ने नगर निगम पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि वह सब कुछ अच्छा-अच्छा दिखाने की कोशिश करता है। वहीं जरूरत एक एक्सपर्ट कमेटी की है।

कोर्ट ने केमिकल वाले पटाखों के निर्माण और बिक्री पर चितंा जताते हुए कहा कि इसपर निगरानी रखने की जरूरत है। कोर्ट ने मुंबई में बढ़ते प्रदूषण को लेकर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। अब अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी। 

Yogesh Bansal

Editor in Chief

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