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अखण्ड सौभाग्य की कामना का पर्व गणगौर…

गणगौर पूजा सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है,जो सामाजिक एकता, साझा, संवेदनशीलता और भाईचारे को बढ़ावा देती है।

मुंगेली। भारतीय सनातन सभ्यता में अखण्ड सुहाग का प्रतीक गणगौर के पूजन और व्रत का अपना एक अलग ही स्थान है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला यह त्योहार स्त्रियों के लिए अखण्ड सौभाग्य प्राप्ति का पर्व है। वास्तव में गणगौर पूजन मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा का दिन है। चूंकि मां पार्वती ने भी अखण्ड सौभाग्य की कामना से कठोर तपस्या की थी और उसी तप के प्रताप से भगवान शिव को पाया। इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को तथा पार्वती जी ने समस्त स्त्री जाति को सौभाग्य का वरदान दिया था। शास्त्रों के अनुसार तभी से इस व्रत को करने की प्रथा आरम्भ हुई।

गणगौर पूजा इन दिनों विधि विधान से किया गया। राजस्थानी समुदाय के द्वारा 16 दिन तक शिव पार्वती की आराधना कर सुखी वैवाहिक जीवन का आशीष मांगा गया। आयोजन के अर्तगत 11 अप्रेल को रामदेव बाबा मंदिर में संगीत सध्या का आयोजन रात्रि 8 बजे से किया गया। संगीत सध्या के माध्यम से महिलाओ मे मतदान के लिए जागरूक किया। 12 अप्रेल को शोभायात्रा निकालकर विसर्जित किया।

बता दें होली के दूसरे दिन से गणगौर की पूजा की जाती है। गणगौर 16 दिन तक घर में बिराजमान होते हैं, महिलाएं गणगौर की पूजा करती हैं सुबह शाम पानी पिलाती और उनका मुंह मीठा कराती हैं। गीत गाती हैं और कहानी सुनती गणगौर की पूजा ज्यादातर घर की और नई शादी की आई हुई बहुएं करती हैं। सभी महिलाओं ने मिलकर गणगौर बैठाया और 16 दिन पूजा अर्चना के बाद 11 अप्रेल को रामदेवबाबा मंदिर में संगीत सध्या का आयोजन रात्रि 8बजे से किया गया जिसमे राजस्थानी महिला शाखा द्वारा समाज के रामदेव बाबा मंदिर में गणगौर की गोट एवं पूजन का पारंपरिक उत्सव बड़े ही उल्लास व भक्तिमय वातावरण में समाज की महिलाओ की उपस्थिति मे सम्पन्न हुआ, जिसमे बड़ी संख्या में समाज की महिलाओं ने उपस्थित होकर भगवान शंकर व मां पार्वती के स्वरूप गणगौर माता का राजस्थानी लोक गीत गाकर किया सामूहिक नृत्य कर महिलाओ मे मतदान के लिए जागरूक किया। इस आयोजन मे संयुक्त कलेक्टर मेनका प्रधान और एसडीएम पार्वती पटेल विशेष रूप से उपस्थित रही। महिलाओ को मतदान के लिए जागरूक किया। दूसरे दिन शाम मे शोभायात्रा निकाली गई। जो नगर के प्रमुख मार्गो से होकर विसर्जित किया गया।

Shreyansh baid

Editor in Chief

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