सीनियर एडवोकेट फली नरीमन का निधन, कभी इंदिरा गांधी सरकार के विरोध में दे दिया था इस्तीफा…
भारत के वरिष्ठ वकीलों में शुमार फली एस नरीमन का निधन हो गया है।
बुधवार को उन्होंने 95 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनके बेटे रोहिंटन नरीमन भी सीनियर एडवोकेट रह चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट में जज हैं। नरीमन ने वकील के तौर पर करियर की शुरुआत नवंबर 1950 में की थी।
उनके जीवन से जुड़ा एक किस्सा काफी चर्चा में रहा, जहां उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार के फैसले के खिलाफ ASG पद से इस्तीफा दे दिया था।
लंबे कानून करियर के दौरान नरीमन कई बड़े ऐतिहासिक मामलों का भी हिस्सा रह चुके हैं। इनमें NJAC का फैसला भी शामिल है। वह SC AoR मामले में भी कोर्ट में पेश हुए थे।
कहा जाता है कि यह मामला कॉलेजियम सिस्टम के अस्तित्व में आने की बड़ी वजह था। वह टीएमए पई जैसे कई बड़े मामलों में भी कोर्ट पहुंचे।
आपातकाल के विरोध में छोड़ा पद
माना जाता है कि नरीमन साल 1975 में घोषित हुए आपातकाल के सरकार के फैसले से भी खुश नहीं थे। लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली सरकार की तरफ से लिए गए इमरजेंसी के फैसले के विरोध में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया के पद से भी इस्तीफा दे दिया था।
ऐसा रहा सफर
1950 में बॉम्बे हाईकोर्ट से वकील के तौर पर शुरुआत करने वाले नरीमन 1961 में सीनियर एडवोकेट के तौर पर नामित किया गया था। उनका कानूनी करियार 70 वर्षों से भी ज्यादा का है।
करीब दो दशकों के बाद उन्होंने दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इसके बाद मई 1972 में ही उन्हें एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया बनाया गया था।
कहा जाता था भारतीय न्यायपालिका का भीष्म पितामह
पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता नरीमन को भारतीय न्यायपालिका का भीष्म पितामह भी कहा जाता था। कानूनी दिग्गज होने के साथ-साथ नरीमन राज्यसभा का हिस्सा भी रहे और उन्होंने कई किताबें भी लिखीं।
इनमें ‘Before the Memory Fades’, ‘The State of the Nation’, ‘India’s Legal System: Can it be Saved?‘ और ‘God Save the Hon’ble Supreme Court‘ का नाम शामिल है।
उनके निधन पर सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी समेत कानूनी क्षेत्र से जुड़े कई दिग्गजों ने दुख जताया है। उन्होंने लिखा, ‘एक युग का अंत हुआ।
एक लीजेंड जो हमेशा कानून और सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोगों के दिल और दिमाग में रहेंगे।’ उन्होंने कहा कि तमाम उपलब्धियों के अलावा वह हमेशा सिद्धांतों के लिए डटे रहे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई दूसरा फली नरीमन न हुआ और न होगा।