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करंट से तीन हाथियों की मौत : घरघोड़ा में श्रद्धांजलि देने जुटा हाथी परिवार

रायपुर। इंसानी संवेदना की तरह हाथियों में भी संवेदना पाई जाती है, इसका उदाहरण घरघोड़ा वन परिक्षेत्र के चुहकीमार नर्सरी में करंट से तीन हाथी शावकों की मौत के बाद देखने को मिला। करंट से मरे हाथियों को जहां दफनाया गया था, उस जगह पर हाथी परिवार श्रद्धांजलि देने पहुंचा था। इसकी पुष्टि रायगढ़ डीएफओ स्टाइलो मंडावी ने भी की है। श्रद्धांजलि देने का वीडियो ड्रोन कैमरे से बनाया गया है। मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जिन सात हाथियों की मौत हुई थी, वो हाथी पांच वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ से बांधवगढ़ पहुंचे थे।

गौरतलब है कि पांच दिन पूर्व 12 साल की एलू मदर हाथी सहित तीन मादा हाथी की करंट से मौत हुई थी। मरने वाले हाथियों की उम्र ढाई से 12 वर्ष के बीच की है। इस लिहाज से मरने वाले सभी हाथी शावक थे। हाथी परिवार में अपने शावकों से विशेष प्रेम रहता है। हाथी परिवार में आपसी सामंजस्य के साथ सहभागिता के गुण पाए जाते हैं। परिवार के किसी सदस्य से बिछड़ने पर हाथी परिवार व्यथित होने के साथ शोक मनाता है।

Current Three elephants died
तीन हाथियों की करंट से हुई थी मौत

मौत पर शोक व्यक्त करते हैं : सिंघवी

वन्यजीव प्रेमी नितीन सिंघवी के मुताबिक हाथी परिवार में जब भी किसी सदस्य की मौत हो जाती है, तो जिस जगह पर उसकी मौत हुई होती है और जहां मृत हाथी की हड्डी पड़ी रहती है, हाथी परिवार वहां से जब भी गुजरता है, वहां रुककर सूंघता है, समझता है, जो एक प्रकार के उसका शोक जताने का तरीका है। श्री सिंघवी के मुताबिक जंगल में हाथी मर जाएगा और मरने के बाद सड़कर हड्डी रह जाएगी, वहां से कोई हाथी परिवार गुजरता है, तो वह गुजरते वक्त सूंघते हुए मृत हाथी के कंकाल के पास पहुंचता है।

कई दिनों तक शोक मनाते हैं

वन्यजीव प्रेमी के अनुसार दल में शामिल किसी हाथी के मौत होने के बाद दल में शामिल सदस्य कई दिनों तक मृत हाथी के पास रहकर शोक मनाते हैं। दल में शामिल सदस्य अपनी सूंड से मृत हाथी की बॉडी को स्पर्ष करते हैं। किसी शावक की मौत होने के बाद शावक की मां अपने बच्चे की लाश के पास कई दिनों तक खड़ी रहती है।

छत्तीसगढ़ से लेकर मध्यप्रदेश में सुरक्षित नहीं हाथी

मध्यप्रदेश के वनों में जो हाथी विचरण कर रहे हैं, वह हाथी छत्तीसगढ़ के हैं। मध्यप्रदेश के कान्हा, संजय दुबारी तथा बांधवगढ़ में 70 के करीब हाथी विचरण कर रहे हैं। बांधवगढ़ में विषैला चारा चरने से जिनकी चारा खाने से मौत हुई है, उन हाथियों के गुरु घासीदास नेशनल पार्क या मरवाही के रास्ते मध्यप्रदेश पहुंचने की संभावना वन्यजीव के जानकारों ने व्यक्त की है। मृत हाथी पांच वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ के जंगल से मध्यप्रदेश पहुंचे थे और वहां स्थायी रूप से रहे थे।

Suraj Makkad

Editor in Chief

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